मित्रता का भाव हो तुम

सहमति असहमति है सहर्ष तुमने स्वीकार किया
हित अहित मान सम्मान तुमने है सरोकार किया
अगणित अशायुक्त जीवन में निस्वार्थ छाँव हो तुम
मित्रता का भाव हो तुम...

वेदनाएं इस संसार में प्रफुल्लित होती हर क्षण है
संग अजेय वाद विवाद से प्रशस्त मन के कण है
जिज्ञासु प्रश्नों से भरे उलझन का ठहराव हो तुम
मित्रता का भाव हो तुम...

जन्म अलग, दाता अलग, कुल की मर्यादा है अलग
पृथक शिक्षाओं से पले मनन की प्रक्रिया है अलग
गुण अवगुन अंतर से परे मानवीय लगाव हो तुम
मित्रता का भाव हो तुम...
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चन्दन Chandan چاندن