फसादी हूँ मैं

जब इच्छाएं ख़त्म हो जाती है
दुःख दर्द नादानी लगती है
उस मुकाम का आदी हूँ मैं
खुद पर विजय का वादी हूँ मैं

धर्म जब नौटंकी लगे
कर्म एकमात्र संगी लगे
ज़िद्द है अतिवादी हूँ मैं
अनसुलझा मियादी हूँ मैं

गलत से समझौता नहीं
अपनों सा सरौता नहीं
यूँ डरता हूँ लड़ाई से
हर क्षण प्रतिवादी हूँ मैं

ज़मीर गर इज़ाज़त न दे
विरोध में इकलौता हूँ मैं
फसाद हो गर वसूलों से
हाँ हाँ फसादी हूँ मैं

♥ चन्दन Chandan چاندن ♥