मेरे शहर में

पैसे हो तो रिश्तेदार बहुत हैं
कृषक नहीं पर ज़मीदार बहुत हैं
वृद्धाश्रम की कमी नहीं मेरे शहर में
बेऔलाद अमीरों के वफादार बहुत हैं
घर में हो बेटी अपने तो संस्कार बहुत है
खूबसूरत हसीनाओं के तरफदार बहुत हैं
घर की बच्चियां भले न पढ़ पाये बहुत
सुशिक्षित हसीनाओं के हक़दार बहुत हैं
मरता है हर दिन ठंढ से ठिठुर कर कोई
मखमली चादरों के मज़ार बहुत हैं
समाजसेवा भी पेशा है यहाँ पर
लालबत्ती पर बच्चे लाचार बहुत हैं
चमकती है सड़कें भी चुनकर इलाकों को
बस्तियों में कूड़ों का अम्बार बहुत है
हरियाली पे पैसे उड़ाती हो सरकार भले
नवीनीकरण में होती शिकार बहुत है
डिग्रियों का मीना बाजार पसरा है यहाँ
सुना था दिल्ली में रोजगार बहुत है
चुप होता हूँ जब भी किसी खामियों पे
लोग कहते हैं "चन्दन" होशियार बहुत है
सप्रेम लेखन: चन्दन Chandan چاندن