जवाब ढूंढ रहा हूँ मैं

आज बारिश आई मेरे तकियों तले
आगोश में अपनी कुछ यादें लिए
सहेजा था हमने जिसे बड़े चाव से
नज़रो ने गिरा दिया ज़माने के दाव से
नींदों से अपनी वापस लौट रहा हूँ मैं
ख्वाबों को अपने हाल पे छोड़ रहा हूँ मैं
माँगा बारिश ने जवाब मेरी तन्हाइयों का
जिसे बादलों से टूटते देख रहा हूँ मैं
वो चेहरा दिखता है बादलों में अब भी मुझे
जिसके नाम का मतलब लिख रहा हूँ मैं
उम्मीद होगी बारिश को फिर से बादल की
सवालो के जवाब में फिर सवाल कर रहा हूँ मैं
ये मौसम होता था पैगाम हमारी मोहब्बत का
नज़राने में उसका इत्तेफ़ाक़ सुन रहा हूँ मैं
सवाल जो कभी न पूछ सका मैं उससे
उसी सवालों का जवाब ढूंढ रहा हूँ मैं
सप्रेम- चन्दन