रिश्तों की समझ ऐसी भी क्या

रिश्तों की समझ ऐसी भी क्या
एक तोड़ दिया एक जोड़ लिया
अपनों से मुख यूँ मोड़ के क्यों
और भी अपना जोड़ लिया

जिस अपनों को अपनाते हो
क्या वो अपना तेरा अपना है
जिस अपनों को छोड़ तुम जाते हो
या वो अपना ही तेरा अपना है

तशबीह न रिश्तों का किया करो
सृजन ईश ने है खुद ही किया
रिश्तों की समझ ऐसी भी क्या
एक तोड़ दिया एक जोड़ लिया

उम्र की कीमत लगाकर तुमने
इक रिश्ते का आगाज़ किया
स्वार्थ-निहित संसार का फिर
क्यों तूने नक़ल-नमाज़ किया

विश्वास न किसी का त्याग करो
हर आह को इसने मन से पिया
रिश्तों की समझ ऐसी भी क्या
एक तोड़ दिया एक जोड़ लिया

-Chandan

यकीं नहीं होता

बेवफा हो तुम, यकीं नहीं होता
जफा की पहचान हो, यकीं नहीं होता
मैं पहचान न सका तुम्हे, यकीं नहीं होता
कसमें वादे झूठे थे, यकीं नहीं होता

स्नेह की पहचान हो नाम में झलकता है
कोयल की कुक हो बातों में बरसता है
मेरी ही मुस्कान हो चेहरे से टपकता है
सब पहचान झूठी है, यकीं नहीं होता

"संग मोहे तेरा भाता है, जीवन की पहचान हो
इश्क है समझ में आता है न ही तुम अनजान हो
जीवन भर साथ निभाएंगे, वादों पे कुर्बान हो"
अचानक सबकुछ भूल गए, यकीं नहीं होता

बेवफा हो तुम, यकीं नहीं होता
कसमें वादे झूठे थे, यकीं नहीं होता
सब पहचान झूठी है, यकीं नहीं होता
अचानक सबकुछ भूल गए, यकीं नहीं होता

written by:-
Chandan