मन की पुकार

मौसम की रंगत मांगे तेरी संगत
आओ मेरे मीत निभाओ प्रीत
तुमबिन बेसुरी है जीवन संगीत
सरसों के फुल पिरोता है शूल
इमारतें ख्वाबों की तुमबिन है धुल
याद तुम्हारी जगाये रात सारी
अभिलाषा मन की फिर भी न हारी
मेरे संग जाओ रंग
इश्क की जंग करो ना दंग
तुम बिन जीवन है बेरंग
सावन का मौसम और ये यौवन
बीत न जाये संग ये सौतन
मन से उठे पुकार
छोड़ दो ये संसार
विदा करे दो हिर्दय को जो
क्यों रखें उनसे सरोकार
Written by:-
Chandan

अहसास नहीं होता

कर सकता था इंतजार बारिश के रुकने का
पर तेरे छुअन का अहसास नहीं होता
तुम जो यादों में छोड़ जाते हो तन्हाई
उस उल्फत के होने का अहसास नहीं होता
लोग पत्थर के डर से रुक गए थे वहां
चलने की जिद में कोई रुसवा नहीं होता
मैं भी रुक कर इंतजार करता तेरा
पर अब बर्दास्त अफवाह नहीं होता
तेरे साथ बारिश में भीगने की ख्वाहिस
पर तू मिले बिन मौसम तो बरसात नहीं होता
कर सकता था इंतजार बारिश के रुकने का
पर तेरे छुअन का अहसास नहीं होता
तुम जो यादों में छोड़ जाते हो तन्हाई
उस उल्फत के होने का अहसास नहीं होता
Written By- Chandan