नाम भी न पूछ सका

वो नज़रों में समां के चली गई
मैं नाम भी न पूछ सका
जीता था किसी के दिल को मैंने
इनाम भी न पूछ सका
बातें थी थोड़ी उससे दिल की
सरेआम मैं न पूछ सका
वो नज़रों में समां के चली गई
मैं नाम भी न पूछ सका
बारिश की बुँदे हो या पुरवाई की हो छुअन
मदहोश बना के चली गई मैं इलज़ाम भी न पूछ सका
सागर सी इश्क की लहरों में मैं गोता मारता डूब गया
उस गहराई के आलम का अंजाम मैं न पूछ सका
मौके भी मिले कोशिश भी किया
उसे पाने की हर साजिश भी किया
पर जुदा इश्क के चेहरे का गुलफाम मैं न पूछ सका
वो नज़रों में समां के चली गई
मैं नाम भी न पूछ सका.....

Written By:-
Chandan Kumar Gupta

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