ख़ुशी और गम

मर के भी देखा डर के भी देखा
उंच-नीच हर राह से गुजर के भी देखा
शराफ़त का घिरोंदा बताते लोग जिसे
रात सारी उसमे ठहर के भी देखा
ना चैन मिला मंदिर में ना सुकूं मिला मशजिद में
साधू-फ़क़ीर की झोलियों को भर के भी देखा
इसी खोज में जब निकल गया दूर मै
अपने अन्दर जरा टटोल के भी देखा
ख़ुशी और उल्लास सब मेरा ही नजरिया था
दुःख और दर्द सब मेरा ही जरिया था
फिर दर्द में मुस्कुराने की कला सीखी है मैंने
सुकूं मिला जब दूसरों की खुशियों में थिरक के देखा
Written By:-
Chandan Kumar Gupta

नाम भी न पूछ सका

वो नज़रों में समां के चली गई
मैं नाम भी न पूछ सका
जीता था किसी के दिल को मैंने
इनाम भी न पूछ सका
बातें थी थोड़ी उससे दिल की
सरेआम मैं न पूछ सका
वो नज़रों में समां के चली गई
मैं नाम भी न पूछ सका
बारिश की बुँदे हो या पुरवाई की हो छुअन
मदहोश बना के चली गई मैं इलज़ाम भी न पूछ सका
सागर सी इश्क की लहरों में मैं गोता मारता डूब गया
उस गहराई के आलम का अंजाम मैं न पूछ सका
मौके भी मिले कोशिश भी किया
उसे पाने की हर साजिश भी किया
पर जुदा इश्क के चेहरे का गुलफाम मैं न पूछ सका
वो नज़रों में समां के चली गई
मैं नाम भी न पूछ सका.....

Written By:-
Chandan Kumar Gupta

मैं और तेरे वादे

तेरे वादों से होती है मुझे नफरत कुछ इस तरह
बदले की आग में जलता हो दुश्मन जिस तरह
तेरे इक मीठी बातों से हो जाती है हर सिकवा दूर
बेक़रार इश्क में हर गुनाह भूल जाता है आशिक जिस तरह
तुम कहो तो दिन तुम कहो तो रात कहो तो सुबहो-शाम
और मनाना हर बात को ऐसे होता है इतिहास में जिस तरह
तेरे हर सितम मंज़ूर ग़र तू हो के रहे हमारी
वरना मतलबी हूँ मैं भी बिलकुल तुम्हारी तरह
पहली दफ़ा मिलने की सुध में बंधन सारे तोड़ दिए
दूसरी दफ़ा दो दिल मिलने की रीत सारे तोड़ दिए
तीसरी दफा जब चले गए तुम अनजान राही की तरह
जीवन वीरानी हो गई है सुनसान झाडी की तरह
गर मैं न बदला तू न बदली एहसास कैसे बदल गए
आँखे हैं वही रातें हैं वही ख्वाब कैसे बदल गए
रीत सारे गर तोड़ सकूँ मैं वादा-ए-सियासत की तरह
वापस लौटकर तू आ जाये मौसम औ सावन की तरह
    Written By:-
Chandan Kumar Gupta