गम-ए-तन्हाई

शहर की भीड़ में तन्हाई बिजली सी कड़कती है
और कहती है तन्हाई इस भीड़ को देखकर
'इतने सारे लोगों में तेरा अपना यहाँ पे कोई नहीं
ढल जाएगी ये शाम युहीं इक हमदर्द की तलाश में
कट जाएगी ये जिन्दगी युहीं आबडू की भड़ास में
तू भी इस भीड़ का इक हिस्सा बनकर रह जायेगा
अंतिम यात्रा पे तू भी खाली हाथ ही जायेगा
फिर क्यूँ तू किसी से कुछ उम्मीद करता है
जीता यहाँ वो भी है जो यतीम होता है'
जानते हैं सबकुछ मानते हैं सबकुछ फिर भी मगर
जाने क्यों युहीं मन किसी के ख्यालों में रमती रहती है
शहर की भीड़ में तन्हाई बिजली सी कड़कती है...
                       Written By:-
                    Chandan Kumar Gupta

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