इश्क! तेरे लिए


तेरी मोहब्बत के लिए हमने अपनी पहचान बदल ली
परवाह किये बगैर दुनिया का तेरा साथ चुन ली
ग़र होता खुदा मौजूद ज़मी पर तो देखता ये नज़ारा
जात-पात क्या धर्म क्या हमने नमो-निशां बदल ली
तेरी मोहब्बत के लिए...........
है निशा का आगोश इतना यहाँ जाति-धर्म के नाम पर
देख बंदिशें इश्क पर, हमने तो चश्मनम कर ली
तेरी मोहब्बत के लिए...........
तामीर इश्क की रखी गई थी आदिशक्ति के काल से
बस गिलाफ हटाकर नफरत-द्वेष का हमने तो सहर कर ली
तेरी मोहब्बत के लिए..............
                            Written By:-
                  Chandan Kumar Gupta

1 comment:

  1. It is a true tale about one of my friend who has changed her religion for her love...

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